
आप यूँ ना हमें मिले होते
आंखो को हमने भी ना ख्वाब दिए होते.
मिलती ना चाहे मंझिल हमें,
पर रास्तों में यूँ ना खोये होते.
गुमसुम सी थी…पर झिंदगी थी,
आज लम्हों में यूँ ना बंटे होते,
गर आप यूँ ना हमें मिले होते…
आंखो ने भी सिख ली थी चूपकिदी,
पर आज बेतहासा यूँ ना रोये होते.
गर आप यूँ ना हमें मिले होते…
ना ख्वाब थे,ना कुछ थी उम्मीदें,
आज ख्वाबों के मलबों को यूँ ना ढोते होते,
गर आप यूँ ना हमें मिलें होते…
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